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Showing posts from July, 2020

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ई-दर्शन से भगवान के दर्शन नहीं होते, पूरा देश खुल रहा है तो धार्मिक स्थल बंद क्यों?

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कोरोना महामारी के चलते देशभर में बंद मंदिर, मस्जिद और अन्य धार्मिक स्थलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को ई-सुनवाई में झारखंड के देवघर स्थित ऐतिहासिक बैद्यनाथ धाम मंदिर के मामले में कहा कि ई-दर्शन, भगवान के दर्शन करना नहीं होता। राज्य सरकार मंदिर में सीमित संख्या में श्रद्धालुओं को केंद्र की गाइडलाइन का पालन करते हुए जाने की अनुमति दे। मंदिर में सालाना श्रावणी मेले के दौरान श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति के लिए याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने 3 जुलाई काे केवल ई-दर्शन की अनुमति दी थी। इस निर्णय को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने चुनौती दी थी। सरकार का तर्क- मंजूरी दी तो कोरोना का खतरा बढ़ेगा जस्टिस मिश्रा: कोरोनाकाल में जब पूरा देश खुल रहा है तो मंदिर, मस्जिद, चर्च व अन्य धार्मिक स्थल क्यों बंद? महत्वपूर्ण दिनों में उन्हें क्यों नहीं खुलना चाहिए? राज्य सरकार: अनुमति दी तो अव्यवस्था फैलेगी। कोरोना का खतरा बढ़ेगा। मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। उन पर काबू मुश्किल होगा। इसलिए मंदिर खोलने की मंजूरी नहीं दे सकते।

अलास्का में दो प्लेन टकराए, रिपब्लिकन असेंबली मेंबर समेत सात लोगों की मौत

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अमेरिका में एक हवाई दुर्घटना में सात लोगों की मौत हो गई। हादसा अलास्का के सोलडोन्टा शहर से कुछ किलोमीटर दूर हुआ। जानकारी के मुताबिक, दो छोटे विमान हवा में टकरा गए। मारे गए लोगों में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के एक स्टेट असेंबली मेंबर गैरी नोप भी शामिल हैं। सिंगल इंजन वाले प्लेन थे न्यूयॉर्क टाइम्स ने स्थानीय अधिकारियों के हवाले से बताया- दोनों एयरक्राफ्ट सिंगल इंजन वाले थे। इनमें से एक हैविललैंड डीएचसी-2 बीवर और दूसरा पाइपर-पी12 था। दोनों ही विमानों ने सोलडोन्टा एयरपोर्ट से उड़ान भरी। एंकोरेज शहर से करीब 150 मील दूर हवा में यह आपस में टकरा गए। जानकारी के मुताबिक, फिलहाल अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं। Midair collision kills state legislator, 6 others in Alaska https://t.co/hJE7vRPYjw pic.twitter.com/FvvlMpMxbN — CP24 (@CP24) August 1, 2020 किसकी गलती? अब तक ये साफ नहीं हो सका है कि हादसा किसकी गलती की वजह से हुआ। इसकी वजह ये है कि दुर्घटना एयरपोर्ट से काफी दूर हुई। उस वक्त मौसम बिल्कुल साफ था। दोनों विमानों के उड़ान भरने के वक्त में भी काफी अंतर था। घटना

ब्रिटेन में पाबंदियों से दो हफ्ते तक राहत नहीं, प्रधानमंत्री जॉनसन ने कहा- हमें आने वाले खतरे के लिए तैयार रहना होगा; दुनिया में अब तक 1.76 करोड़ केस

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दुनिया में कोरोनावायरस से संक्रमण के अब तक 1 करोड़ 77 लाख 54 हजार 190 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 1 करोड़ 11 लाख 58 हजार 280 ठीक भी हो चुके हैं। वहीं, 6 लाख 82 हजार 885 की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने शुक्रवार को कहा कि देश में फिलहाल पाबंदियों में राहत नहीं दी जाएगी। यहां शनिवार से पाबंदियों में कुछ छूट दिया जानी थी। उन्होंने कहा कि महामारी से बचाव के नियम दो हफ्तों तक बरकरार रहेंगे। ब्रिटेन के कुछ हिस्सों में नए मामले सामने आने के बाद यह फैसला किया गया है। हमारे संक्रमण और मौतों के मामले कम हुए हैं। हालांकि, कुछ यूरोपीय देशों में इसके आंकड़े बढ़ रहे हैं। ऐसे में हमें भी किसी भी खतरे से बचने के लिए तैयार रहना होगा। 10 देश जहां कोरोना का असर सबसे ज्यादा देश कितने संक्रमित कितनी मौतें कितने ठीक हुए अमेरिका 47,05,889 1,56,747 23,27,572 ब्राजील 26,66,298 92,568 18,84,051 भारत 16,97,054 36,551 10,95,647 रूस 8,39,981 13,963 6,38,410 द.अफ्रीका 4,93,183 8,005 3,26,171 मैक्सिको

प्रधानमंत्री आज स्मार्ट इंडिया हैकाथन के ग्रांड फिनाले को संबोधित करेंगे, कहा- हमारे युवा कोरोना के बाद की दुनिया पर फोकस कर रहे

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम 4.30 बजे स्मार्ट इंडिया हैकाथन के ग्रांड फिनाले को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करेंगे। वे स्टूडेंट्स से बात भी करेंगे। उन्होंने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा कि यंग इंडिया टैलेंट से भरा हुआ है। हैकाथन में इनोवेशन और एक्सीलेंस का जोश दिख रहा है। मोदी ने कहा कि स्मार्ट इंडिया हैकाथन कल्पना और नई खोजों के लिए एक शानदार प्लेटफॉर्म बनकर उभरा है। इस वक्त हमारे युवा कोरोना के बाद की दुनिया पर फोकस कर रहे हैं। साथ ही देश को आत्मनिर्भर बनाने के रास्तों पर आगे बढ़ रहे हैं। स्मार्ट इंडिया हैकाथन क्या है? देशभर के स्टूडेंट्स को डेली लाइफ में आने वाली दिक्कतों को सॉल्व करने का प्लेटफॉर्म देने के लिए एक इनीशिएटिव है। इसमें प्रोडक्ट इनोवेशन का कल्चर और प्रॉब्लम सॉल्विंग की सोच के साथ काम करना होता है। सरकार का कहना है कि इस हैकाथन के जरिए कुछ नया करने के आइडिया को युवाओं के बीच प्रमोट करने में कामयाबी मिली है। स्मार्ट इंडिया हैकाथन का पहला एडिशन 2017 में हुआ था। उसमें 42 हजार स्टूडेंट्स ने पार्टिसिपेट किया था। 2018 में ये संख्या 1 लाख और 2019 में 2 लाख पहुंच

एक दिन में 57486 मरीज बढ़े, देश में अब तक 16.97 लाख केस; दिल्ली में आज से सीरो सर्वे का दूसरा चरण शुरू होगा

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देश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा शनिवार सुबह 16 लाख 97 हजार 54 पर पहुंच गया। पिछले 24 घंटे में देश में 57 हजार 486 मरीज बढ़े। यह एक दिन का सबसे ज्यादा आंकड़ा है। इससे पहले गुरुवार को सबसे ज्यादा 54 हजार 750 मरीज मिले थे। शुक्रवार को सबसे ज्यादा 10,376 संक्रमित आंध्र प्रदेश में मिले। महाराष्ट्र में 10,320 मरीज सामने आए। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं। उधर, दिल्ली में सीरो-सर्वे का दूसरा चरण आज से शुरू हो रहा है। यह सर्वे 1 से 5 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान 15 हजार सैंपल्स को इकट्ठा किया जाएगा। यह उत्तर और उत्तर-पूर्वी दिल्ली समेत चार जिलों में चलेगा। राज्य सरकार ने इससे पहले सीरो सर्वे 27 जून से 10 जुलाई तक किया था। इस दौरान 20 हजार सैंपल लिए गए थे। दरअसल, सीरो सर्वे के तहत यह पता लगाया जाता है कि किन लोगों में एंटीबॉडीज डेवलप हो रही हैं। इसकी दर क्या है? कहने का मतलब- अगर किसी व्यक्ति को कोरोना होता है। उसके अंदर कोई लक्षण नहीं उभरता है, तो ऐसे व्यक्ति के शरीर में 5-7 दिन के अंदर अपने आप एंटीबॉडी बनना शुरू हो जाती हैं, जो वायरस को शरीर में पनपने नहीं देती हैं। इसे ही हर्ड इम्य

बच्चों के पास मोबाइल नहीं थे तो शुरू किया ओपन एयर कम्युनिटी स्कूल, अकेले बडगाम जिले में 8 हजार बच्चे पढ़ रहे हैं

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कोरोना के चलते देश भर में पिछले चार महीनों से स्कूल बंद हैं। देश में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है, यही वजह है कि अनलॉक-3 में भी स्कूलों को खोलने की इजाजत नहीं दी गई है। इन सबके बीच कश्मीर की वादियों में बच्चे अब स्कूल के बंद कमरों की बजाय नीले आसमान के नीचे पहाड़ों के बीच ओपन पढ़ाई कर रहे हैं। तस्लीमा बशीर अब ओपन एयर कम्युनिटी स्कूल में पढ़ाई कर रही हैं। फोटो: आबिद बट कश्मीर के बडगाम जिले के पहाड़ी क्षेत्र में रहने वालीं तस्लीमा बशीर आठवीं क्लास में पढ़ती हैं। तस्लीमा को पढ़ाई करना पसंद है। स्कूल ने वर्चुअल क्लासेज के जरिए पढ़ाई भी कराई, लेकिन ना तो तस्लीमा के घर में मोबाइल है और न ही उनके घर तक मोबाइल नेटवर्क की पहुंच है। ऐसे में तस्लीमा खुद ही घर पर बैठकर जो मन आया वो पढ़ लेती थीं। इसके बाद जब 1 जून से ओपन एयर कम्युनिटी स्कूल की शुरूआत हुई तो यहां आने के बाद तस्लीमा के चेहरे पर एक अलग ही रौनक नजर आई। बडगाम जिले के दूधपथरी की वादियों में तस्लीमा की तरह कई बच्चे ओपन एयर स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं। तस्लीमा कहती हैं कि इस तरह खुली वादियों के बीच पढ़ना ज्यादा अच्छा लगता है। मैं घर

सतेंद्र दास कहते हैं, जब बाबरी विध्वंस हुआ तो मैं वहीं था, सुबह 11 बज रहे थे, हम रामलला को उठाकर अलग चले गए, ताकि वो सुरक्षित रहें

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राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी हैं सत्येंद्र दास। कहते हैं "सबसे बड़ी बात है कि राममंदिर बन रहा है। 28 साल से मैं पुजारी के रूप में रामलला की सेवा कर रहा हूं। मन मे एक टीस थी कि रामलला टेंट में हैं, लेकिन ठाकुर जी की कृपा से सब सही हो गया। अब हमारे आराध्य श्री राम टाट से निकल कर ठाट में आ गए हैं। चूंकि, अब ट्रस्ट बन गया है मंदिर बनने के बाद मैं आगे पुजारी रहूंगा या नहीं, यह नहीं कह सकता हूं। क्योंकि बीच मे मेरे रिश्ते विहिप से खराब हो गए थे। साल 2000 में अशोक सिंघल समेत कई बड़े विहिप के नेता जबरदस्ती जन्मस्थान में घुस आए थे। उनके पीछे मीडिया भी थी। तत्कालीन डीएम भगवती प्रसाद मामले को रफा-दफा करना चाह रहे थे। लेकिन, मीडिया में खबर चलने के बाद यह संभव नही हो सका। बाद में पत्रकारों ने हमसे भी पूछा तो हमने भी नाम बता दिया। इसके बाद विहिप वाले हमसे नाराज हो गए। हालांकि, हमने संबंध बनाए रखा, लेकिन सही बात यह है कि अब वो बात नहीं है। 80 साल उम्र हो चुकी है। रामलला की सेवा में 28 साल बिता दिए हैं। अगर मौका मिलेगा तो बाकी जिंदगी भी उन्हीं की सेवा में बिताना चाहता हूं।’ अभी तक हम सभी उन्हे

यहां चार छावनियां थीं, अब तीन बची हैं, बड़ी छावनी, छोटी हो गई और छोटी छावनी बड़ी हो गई, इन छावनियों में रहते हैं साधु-संत

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पिछले कई सालों में अनेक बार अयोध्या पुलिस छावनी बनी है। पांच अगस्त को भूमि पूजन का कार्यक्रम है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दिन अयोध्या आएंगे। इस लिहाज से एक बार फिर अयोध्या की किलेबंदी शुरू हो गई है। बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात हैं। हर मुख्य सड़क पर पुलिस की बैरिकेडिंग है। मतलब, एक बार फिर अयोध्या छावनी में तब्दील हो जाएगी। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि अयोध्या में कई छावनियां सालों से हैं और वहां साधु-संत रहते आ रहे हैं। इन छावनियों का इतिहास भारत में मुगल काल के कमजोर होने के साथ शुरू होता है। हालांकि, इनका कोई लिखित इतिहास उपलब्ध नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि वैरागी साधुओं ने धर्म की रक्षा के लिए अयोध्या में एक साथ गुट बनाकर रहना शुरू किया और इनके एक साथ रहने की वजह से अंग्रेजों के समय उनके रहने की जगह को छावनी कहा जाने लगा। कुछ समय पहले तक अयोध्या में चार प्रमुख छावनियां थीं- तुलसी दास जी की छावनी, बड़ी छावनी, तपसी जी की छावनी और छोटी छावनी। तुलसी दास जी की छावनी खत्म हो गई। खत्म होने की कोई साफ-साफ वजह तो कोई नहीं बताता लेकिन अयोध्या के रहने वाले मानते हैं कि

कांग्रेस पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ही दो विकल्पों में बंटा लगता है, साफ पता चल रहा कि सबकुछ ठीक नहीं

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हाल ही में राजस्थान और कुछ अन्य राज्यों में कांग्रेस पार्टी में हुईं तकरार बताती हैं कि पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं है। ऐसे में यह सोचने की जरूरत है कि इस बहुत पुरानी पार्टी को क्या संकट की ओर धकेल रहा है। क्या ऐसा सिर्फ इसलिए है कि पार्टी हाल ही में कई चुनाव हारी है या इसका कारण पार्टी में अपेक्षाकृत कमजोर वैचारिक संबंध हैं या इसके पीछे कमजोर मौजूदा केंद्रीय नेतृत्व है? क्या हाल ही में उसके नेताओं का दल बदलना सिर्फ उनकी महत्वाकांक्षा और अधीरता की निशानी है या पार्टी में नेताओं के बीच मजबूत पीढ़ीगत विभाजन है? लोकतांत्रिक देश में कोई पार्टी हमेशा सत्ता में नहीं रह सकती एक लोकतांत्रिक देश में कोई पार्टी हमेशा सत्ता में नहीं रह सकती है, इसलिए पार्टियों की जीत-हार आम है। भाजपा भी 2004 और 2009 में लगातार दो चुनाव हारी थी लेकिन 2014 में फिर सत्ता में आई। लेकिन उसे कांग्रेस जैसे संकट का सामना नहीं करना पड़ा। इसलिए केवल दो लोकसभा चुनाव हारना कांग्रेस के मौजूदा संकट का कारण नहीं हो सकता। कांग्रेस की विचारधारा (आधिकारिक) में शायद ही कोई बदलाव आया है। इसलिए इसे पार्टी में संकट का कारण नहीं मान सक

कांग्रेस नेतृत्व का मुद्दा अर्थहीन नाटक बनता जा रहा, राहुल की हार ने ही कांग्रेस के अवसर खत्म कर दिए थे

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कांग्रेस नेतृत्व का मुद्दा एक अर्थहीन नाटक बनता जा रहा है। अंतरिम एआईसीसी प्रमुख सोनिया गांधी उस पद को छोड़ने बेताब हैं, जिसपर वे 21 साल से हैं। 17 महीने कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके उनके बेटे पहले चाहते थे कि कोई गैर-गांधी यह पद संभाले, पर अब इस शर्त पर वापसी चाहते हैं कि मुख्य नियुक्तियां उनकी पसंद से हों। राहुल गांधी पार्टी की सत्ता संरचना व पदक्रम बदलने को उत्सुक हैं। हालांकि वे इस तथ्य से अनजान रहना चाहते हैं कि सार्वजनिक जीवन या राजनीति में अधिकार सफलता के साथ आता है। पार्टी में विद्रोह के संकेत नदारद हैं विसंगति सिर्फ गांधियों तक सीमित नहीं है। 2014 और 2019 के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भी पार्टी में विद्रोह के संकेत लगभग नदारद हैं। संदीप दीक्षित, शर्मिष्ठा मुखर्जी, शशि थरूर, मिलिंद देवड़ा, जयराम रमेश और कपिल सिब्बल जैसे आदतन मतविरोधियों ने भी पार्टी की स्थिति पर चर्चा को लेकर कोई कदम नहीं उठाया। हर कोई पार्टी में नंबर दो की भूमिका की उम्मीद में लगता है। युवाओं से उम्मीद थी। लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट जैसे वंशजों ने हरा मैदान तलाशने का आसान विकल्प चुना। अब लगता है कि

बच्चे बड़े पैमाने पर वायरस कैरियर हो सकते हैं, स्कूल खोलने पर फिर छिड़ सकती है बहस

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लॉकडाउन के दौर में स्कूलों को फिर से खोलने को लेकर जारी चर्चा के बीच अब तक यह माना जाता रहा है कि कोरोनावायरस ने बड़ी संख्या में छोटे बच्चों को चपेट में नहीं लिया और उनसे दूसरों तक नहीं फैलता। अगर फैला भी है, तो बहुत कम। लेकिन, एक नए अध्ययन में चौंकाने वाले नतीजे मिले हैं। इसके मुताबिक, बच्चे बड़े पैमाने पर कोरोनावायरस के कैरियर हो सकते हैं। जेएएमए पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित इस अध्ययन के प्रमुख और शिकागो में एन एंड रॉबर्ट एच लॉरी चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. टेलर हेल्ड-सार्जेंट कहती हैं, ‘ऐसी कई वैज्ञानिक बारीकियां सामने आ रही हैं। अगर बच्चे बीमार या बहुत बीमार नहीं पड़ रहे हैं, तो हम यह नहीं मान सकते हैं उनमें वायरस नहीं है।’ 145 लोगों के स्वाब पर अध्ययन हुआ अध्ययन के दौरान कोरोना संक्रमित 145 लोगों के स्वाब का विश्लेषण किया गया। इनमें 46 बच्चे 5 साल से कम उम्र के, 51 बच्चे 5 से 17 साल के और 18 से 65 साल के 48 लोगों के स्वाब लिए गए। इसमें उन बच्चों को नहीं शामिल किया गया जिन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत थी। ज्यादातर बच्चों में बुखार और खांसी के लक्षण थे। जांच मे

दशकों सूनी रही अयोध्या की आंखों में अब रंग चमकते हैं, यहां उम्मीदों की नई बयार बहने लगी है, युवाओं को आशा- भविष्य अब बेहतर होगा

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सरयू पूरे उफान पर है। प्रवाह इतना तेज और लहरों लहर फैला है कि उस पार किनारा नहीं दिखता। बचपन से सरयू किनारे ठेला लगाने वाले हों या संभावनाशील कारोबारी, उनकी आंखाें में नई चमक है। युवाओं को साफ दिख रहा है कि मंदिर से जुड़ी राजनीति चाहे जो भी हो, अयोध्या अब हरिद्वार और तिरुपति को पीछे छोड़ने जा रही है। हालांकि, राम मंदिर के आसपास के इलाके के लोगों के चेहरों पर पुनर्निर्माण के दौरान टूट-फूट का डर भी साफ पढ़ा जा सकता है। लेकिन, नई पीढ़ी को लगता है कि उनका भविष्य बेहतर होने जा रहा है। होटल कारोबारी के अनिल अग्रवाल कहते हैं- 2000 से ज्यादा नए होटल खुलने की संभावना तो है ही, यहां की रेलवे कनेक्टिविटी बढ़ने, एयरपोर्ट बनने और पर्यटन के समृद्ध होने की अपार संभावनाएं हैं। राम नवमी या दिवाली पर यहां विश्वभर से यात्री जुटेंगे। सरयू की महिमा पहले ही इतनी है कि यहां सावन में एक-एक दिन 15-15 लाख लोग जुटते हैं। पिछले साल 2 करोड़ पर्यटक आए थे। श्रीराम पौड़ी से नया घाट तक पूरी अयोध्या सज रही श्रीराम पाैड़ी और नया घाट से लेकर रामलला के मंदिर तक पूरी अयोध्या सज रही है। उसकी धज पहले की तुलना में अब इतनी अलग है

ऑनलाइन एजुकेशन से जुड़ा एक नया चैप्टर जोड़ा गया, पिछले साल जारी किए गए ड्राफ्ट में यह चैप्टर नहीं था

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केंद्र सरकार ने बुधवार को नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी। देश की शिक्षा नीति में 34 सालों बाद यह बदलाव हुआ है। इसमें प्राइमरी एजुकेशन से लेकर रिसर्च लेवल तक के बदलाव शामिल हैं। अब तक यही समझा जा रहा है कि 2020 में आई नई शिक्षा नीति पूरी तरह 2019 में आए ड्राफ्ट के आधार पर ही तैयार की गई है। लेकिन, यह पूरी तरह सही नहीं है। नई शिक्षा नीति पर कोविड-19 महामारी का भी असर हुआ है। ऑनलाइन एजुकेशन से जुड़ा एक नया चैप्टर साल 2020 में ही जोड़ा गया है। 2019 के ड्राफ्ट में कुल 23 चैप्टर थे। जबकि बुधवार को जारी की गई नई शिक्षा नीति में 24 चैप्टर हैं। यह 24वां चैप्टर है Online and Digital Education: Ensuring Equitable Use of Technology यानी सभी के लिए तकनीक का उपयोग सुनिश्चित करना। क्या है इस नए चैप्टर में? सरकार की तरफ से जारी किए गए नई शिक्षा नीति के आधिकारिक दस्तावेज में इस चैप्टर को लेकर लिखा है: महामारी से उपजी परिस्थितियों से यह पता चला कि शिक्षा के पारंपरिक तरीकों के अलावा हमें नए विकल्पों की भी जरूरत है, इसलिए इसे जोड़ा गया। नई शिक्षा नीति की ड्राफ्ट कमेटी के सदस्य आर.एस कुरील कहते हैं :

ऑनलाइन एजुकेशन से जुड़ा एक नया चैप्टर जोड़ा गया, पिछले साल जारी किए गए ड्राफ्ट में यह चैप्टर नहीं था

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केंद्र सरकार ने बुधवार को नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी। देश की शिक्षा नीति में 34 सालों बाद यह बदलाव हुआ है। इसमें प्राइमरी एजुकेशन से लेकर रिसर्च लेवल तक के बदलाव शामिल हैं। अब तक यही समझा जा रहा है कि 2020 में आई नई शिक्षा नीति पूरी तरह 2019 में आए ड्राफ्ट के आधार पर ही तैयार की गई है। लेकिन, यह पूरी तरह सही नहीं है। नई शिक्षा नीति पर कोविड-19 महामारी का भी असर हुआ है। ऑनलाइन एजुकेशन से जुड़ा एक नया चैप्टर साल 2020 में ही जोड़ा गया है। 2019 के ड्राफ्ट में कुल 23 चैप्टर थे। जबकि बुधवार को जारी की गई नई शिक्षा नीति में 24 चैप्टर हैं। यह 24वां चैप्टर है Online and Digital Education: Ensuring Equitable Use of Technology यानी सभी के लिए तकनीक का उपयोग सुनिश्चित करना। क्या है इस नए चैप्टर में? सरकार की तरफ से जारी किए गए नई शिक्षा नीति के आधिकारिक दस्तावेज में इस चैप्टर को लेकर लिखा है: महामारी से उपजी परिस्थितियों से यह पता चला कि शिक्षा के पारंपरिक तरीकों के अलावा हमें नए विकल्पों की भी जरूरत है, इसलिए इसे जोड़ा गया। नई शिक्षा नीति की ड्राफ्ट कमेटी के सदस्य आर.एस कुरील कहते हैं :

बच्चे बड़े पैमाने पर वायरस कैरियर हो सकते हैं, स्कूल खोलने पर फिर छिड़ सकती है बहस

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लॉकडाउन के दौर में स्कूलों को फिर से खोलने को लेकर जारी चर्चा के बीच अब तक यह माना जाता रहा है कि कोरोनावायरस ने बड़ी संख्या में छोटे बच्चों को चपेट में नहीं लिया और उनसे दूसरों तक नहीं फैलता। अगर फैला भी है, तो बहुत कम। लेकिन, एक नए अध्ययन में चौंकाने वाले नतीजे मिले हैं। इसके मुताबिक, बच्चे बड़े पैमाने पर कोरोनावायरस के कैरियर हो सकते हैं। जेएएमए पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित इस अध्ययन के प्रमुख और शिकागो में एन एंड रॉबर्ट एच लॉरी चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. टेलर हेल्ड-सार्जेंट कहती हैं, ‘ऐसी कई वैज्ञानिक बारीकियां सामने आ रही हैं। अगर बच्चे बीमार या बहुत बीमार नहीं पड़ रहे हैं, तो हम यह नहीं मान सकते हैं उनमें वायरस नहीं है।’ 145 लोगों के स्वाब पर अध्ययन हुआ अध्ययन के दौरान कोरोना संक्रमित 145 लोगों के स्वाब का विश्लेषण किया गया। इनमें 46 बच्चे 5 साल से कम उम्र के, 51 बच्चे 5 से 17 साल के और 18 से 65 साल के 48 लोगों के स्वाब लिए गए। इसमें उन बच्चों को नहीं शामिल किया गया जिन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत थी। ज्यादातर बच्चों में बुखार और खांसी के लक्षण थे। जांच मे

अयोध्या में तीन घंटे रहेंगे पीएम मोदी, नेपाल सीमा तक हाई अलर्ट घोषित; प्रमुख मार्गों पर बैरिकेडिंग, प्रवेश पर पहचान पत्र की जांच की जा रही

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अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन के लिए प्रधानमंत्री के ऐतिहासिक दौरे को लेकर युद्धस्तर पर तैयारियां चल रही हैं। वहीं, प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार आ रहे पीएम नरेंद्र मोदी अयोध्या में तीन घंटे से ज्यादा रुक सकते हैं। इसे ध्यान में रखकर सुरक्षा और सजावट पर खास ध्यान दिया जा रहा है। माहौल को पूरी तरह धार्मिक बनाए रखने की तैयारी की गई है। अयोध्या को जोड़ने वाले हाईवे व सड़कों पर सुरक्षा बैरिकेडिंग कर दी गई है। अयोध्या में प्रवेश करने वाले वाहनों के लिए परिचय पत्र की जांच अनिवार्य हो गई है। सभी संवेदनशील स्थानों, पावर हाउस, इमारतों आदि पर जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहें है। जिनके लिए एकीकृत कंट्रोलरूम बन रहा है। इस कंट्रोल रूम से अयोध्या के चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जाएगी। आसमानी सुरक्षा के लिए भी उपाय किए जा रहे हैं। हनुमानगढ़ी और सरयू घाट भी जा सकते हैं मोदी पीएम मोदी हनुमानगढ़ी और सरयू घाट पर भी जा सकते हैं। इन दोनों स्थानों के साथ नगर के मठों-मंदिरों को भी संवारा जा रहा है। उप्र के एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने कहा कि ‘पीएम की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। अयोध्