लिवर की सूजन से जूझ रहे हैं तो कोरोना का संक्रमण होने पर हालत नाजुक हो सकती है, सीडीसी ने चेतावनी दी

हेपेटाइटिस यानी लिवर से जुड़ी बीमारी से जूझ रहे हैं तो कोरोना का संक्रमण गंभीर रूप ले सकता है। यह चेतावनी अमेरिका की सबसे बड़ी स्वास्थ्य एजेंसी सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने जारी की है। सीडीसी के मुताबिक, ऐसे बुजुर्ग जो पहले से बीमार हैं और हेपेटाइटिस से जूझ रहे हैं, उन्हें विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।

आज वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे है। इस साल की थीम है- हेपेटाइटिस मुक्त भविष्य। लिवर की इस बीमारी से दुनियाभर में हर साल 13 लाख मौतें हो रही हैं। बारिश का मौसम चल रहा है और कोरोना का संक्रमण भी फैल रहा है। इसी मौसम में हेपेटाइटिस के वायरस का संक्रमण भी आसानी से होता है, इसलिए खासतौर पर अलर्ट रहने की जरूरत है। जानिए कोरोनाकाल में कब, कैसे खुद को रखें सुरक्षित-

क्या है हेपेटाइटिस?
हेपेटाइटिस को आसान भाषा में तो यह लिवर में होने वाली सूजन है जिसका मुख्य कारण वायरस का संक्रमण है। जो आमतौर पर दूषित भोजन खाने या पानी पीने, संक्रमित चीजों के इस्तेमाल से फैलता है। इस कारण हेपेटाइटस के 5 वायरस ए, बी, सी डी और ई हैं। इनमें टाइप-बी व सी घातक रूप लेकर लिवर सिरोसिस और कैंसर को जन्म देते हैं। शुरुआती इलाज न मिलने पर स्थिति गंभीर हो जाती है और लिवर पूरी तरह से डैमेज भी हो सकता है।

कितनी तरह की होती है लिवर की यह बीमारी?

  • हेपेटाइटिस-ए : यह वायरस दूषित भोजन और पानी से शरीर में फैलता है। ऐसे मामलों में लिवर में सूजन, भूख न लगना, बुखार, उल्टी व जोड़ों में दर्द रहता है।
  • हेपेटाइटिस-बी : यह वायरस संक्रमित रक्त, सुई या असुरक्षित यौन संबंध के जरिए फैलता है। लिवर पर असर होने से रोगी को उल्टी, थकान, पेटदर्द, त्वचा का रंग पीला होने जैसी दिक्कतें होती हैं। यह लिवर का सबसे क्रॉनिक रोग है जो लिवर सिरोसिस और कैंसर का रूप ले लेता है। अगर गर्भवती महिला इससे संक्रमित है, बच्चा भी इससे ग्रसित हो सकता है। इस साल की थीम में भी इसे रोकने पर फोकस किया गया है।
  • हेपेटाइटिस-सी : हेपेटाइटिस-ए व बी की तुलना में यह वायरस ज्यादा खतरनाक है। शरीर पर टैटू गुदवाने, दूषित रक्त चढ़वाने, संक्रमित सुई के प्रयोग या दूसरे के शेविंग किट के इस्तेमाल से यह फैलता है। इसके लक्षण गंभीर अवस्था में कुछ समय बाद ही दिखाई देते हैं।
  • हेपेटाइटिस-डी : हेपेटाइटिस-बी व सी के मरीजों में इसकी आशंका ज्यादा होती है। यह भी दूषित रक्त चढ़वाने, संक्रमित सुई के प्रयोग या दूसरे के शेविंग किट के इस्तेमाल से यह फैलता है। लिवर में संक्रमण से उल्टी और हल्का बुखार आता है।
  • हेपेटाइटिस-ई : यह वायरस दूषित खानपान से फैलता है। इससे प्रभावित होने पर मरीज को थकान, वजन घटने, त्वचा पर पीलापन और हल्का बुखार आता है। हालांकि, भारत में इसके मामले कम है। इसका संक्रमण होने पर मरीज को थकान, वजन घटने, स्किन पीली दिखना और बुखार जैसे लक्षण दिखते हैं।

3 सवाल : क्या यह जेनेटिक बीमारी है और हर तरह का हेपेटाइटिस एक मरीज में हो सकता है?
1) क्या वायरल हेपेटाइटिस से पीड़ित सभी रोगियों को पीलिया होता है?

यदि किसी रोगी को पीलिया नहीं है, तो इसका अर्थ यह नहीं कि उसे हेपेटाइटिस वायरल संक्रमण नहीं हो सकता। कई बार पीड़ित व्यक्ति में पीलिया के बजाय बुखार, उल्टी, भूख न लगना, जी मचलना और सुस्ती जैसे लक्षण भी हो सकते हैं।

2) किसी को हेपेटाइटिस-ए हो जाता है, तो क्या उसे हेपेटाइटिस का दूसरा प्रकार नहीं होता?
हेपेटाइटिस-ए से प्रभावित रोगी केवल हेपेटाइटिस-ए के खिलाफ जीवन भर इम्यून रहता है। इसके अलावा उसे अन्य हेपेटाइटिस जैसे बी, सी और ई से संक्रमित होने का खतरा हमेशा बना रहता है।

3) क्या हेपेटाइटिस वंशानुगत बीमारी है और इसका टीका उपलब्ध है?
हेपेटाइटिस एक आनुवंशिक बीमारी नहीं है। हालांकि, हेपेटाइटिस-बी वायरस जन्म के दौरान मां से बच्चे में स्थानांतरित हो सकता है। इसे मां के हेपेटाइटिस-बी वायरस की स्थिति की पहचान कर और बच्चे के जन्म के 12 घंटों के भीतर टीकाकरण कर रोका जा सकता है। अभी केवल हेपेटाइटिस ए और बी के लिए ही टीका उपलब्ध है।

5 बातें जो जरूर ध्यान रखें
1) लक्षण दिखते ही जांच कराएं
हेपेटाइटिस वायरस के संक्रमण के लक्षण दिखने ही हेप्टोलॉजिस्ट से मिलें और जांच कराएं। कुछ कॉमन लक्षण जैसे लिवर का आकार बढ़ने, त्वचा की पीलापन, मतली, यूरिन पीला होना, हल्का बुखार और शारीरिक बदलावों को देखकर लिवर फंक्शन टैस्ट, पेट का अल्ट्रासाउंड और लिवर बायोप्सी कराने की सलाह दी जाती है।

2) बारिश में खास सावधानी बरतें
सड़क किनारे लगी दुकानों पर मिलने वाला फूड लेने से बचें। बारिश के दिनों में इसका खास ख्याल रखें। संक्रमित इंसान की चीजों का इस्तेमाल करने से बचें और असुरक्षित शारीरिक संबंध न बनाएं। संक्रमित सुई का इस्तेमाल न करें और रक्त चढ़वाते समय इसकी जांच कराएं।

3) नवजात को टीका लगवाएं
गर्भवती महिलाओं को खासतौर पर हेपेटाइटिस-बी की जांच के साथ इसका टीका लगवाने की सलाह दी जाती है। डिलीवरी के बाद नवजात को भी इसका टीका लगवाएं। प्रेग्नेंसी के दौरान हेपेटाइटिस-ई ज्यादा खतरनाक है जो लिवर के फेल होने का कारण बन सकता है। इसका टीका न होने के कारण बचाव ही इलाज है। इससे बचने के लिए उबला पानी पीएं, खाने से पहले साबुन से हाथ धोएं और प्रेग्नेंसी के दौरान बाहर का खाना खाने से बचें।

4) क्या खाएं : हरी सब्जियां खाएं लेकिन अच्छी तरह धोकर
खाने में हरी सब्जियां, पपीता, खीरा, सलाद, नारियल पानी, टमाटर, अंगूर, मूली, ब्राउन राइस किशमिश, बादाम को डाइट में शामिल करें। हरी सब्जियां को अच्छी तरह धोकर ही इस्तेमाल करें।

5) क्या न खाएं : अधिक तेल-मसाले वाला खाना और रिफाइंड आटा
अधिक गर्म, तेल और मसाले वाले फूड, रिफाइंड आटा, डिब्बाबंद फूड, अल्कोहल वाले प्रोडक्ट लेने से बचें। केक, पेस्ट्रीज और चॉकलेट सीमित मात्रा में लें।



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World Hepatitis Day 2020 covid19 and Hepatitis connection people surffering from liver disease need to alert from coronavirus infection


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