कोरोना के चलते भारत में 24 करोड़ स्कूली बच्चे घर पर कर रहे पढ़ाई, लेकिन कई परिवारों के पास स्मार्टफोन खरीदने के नहीं हैं पैसे, इंटरनेट भी नहीं

भारत में स्कूल बंद होने के कारण बच्चे स्मार्टफोन के जरिए पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन कई ऐसे परिवार हैं जिनके पास स्मार्टफोन खरीदने तक के पैसे नहीं हैं। यही नहीं धीमा इंटरनेट भी बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई में बाधा बन रहा है। कोरोना के चलते भारत में करीब 24 करोड़ स्कूली बच्चे घर पर रहकर पढ़ाई कर रहे हैं।

पालमपुर के किसान कुलदीप कुमार ने अपनी गाय बेचकर स्मार्टफोन खरीदा ताकि उनके बच्चे ऑनलाइन क्लास में हिस्सा ले सकें। पिछले चार महीनों से लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद है। कुमार के ऊपर पहले से ही कर्ज था और गाय ही उनकी एकमात्र संपत्ति थी। पिछले हफ्ते उन्होंने इस गाय को 6,000 रुपए में बेच दिया और करीब-करीब पूरा पैसा स्मार्टफोन में लग गया।

कुमार रॉयटर्स से बातचीत में कहते हैं, "मेरे पड़ोसी के पास स्मार्टफोन है, लेकिन मेरे बच्चे हर दिन वहां जाने के खिलाफ हैं, मैं उनकी पढ़ाई को लेकर चिंतित था, इसलिए मैंने गाय बेच दी।' चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन बाजार है। भारत में करीब एक अरब आबादी के पास ऐसे फोन हैं जो इंटरनेट की सुविधा से लैस हैं।

कुमार और उनकी पत्नी के लिए स्मार्टफोन एक नई चीज है। ना ही कुमार और ना ही उनकी पत्नी कभी ऑनलाइन हुए हैं और इसलिए उनके बच्चे ही स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं।

स्कूल बंद होने के चलते बच्चों के लिए इंटरनेट सबसे अहम

स्कूल बंद होने के कारण इंटरनेट तक पहुंच बच्चों के लिए सबसे अहम चीज हो गई है, जिससे वे अपनी पढ़ाई से जुड़े रहें। इसी वजह से कई गरीब या कम आय वाले परिवार सस्ता या फिर सेकंड हैंड स्मार्टफोन खरीद रहे हैं। भारत में करीब 24 करोड़ बच्चे स्कूल जाते हैं। इनकी वजह से कम कीमत वाले स्मार्टफोन की बिक्री और बढ़ सकती है। उद्योग से जुड़े जानकारों का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में इस्तेमाल हो चुके हैंडसेट की बिक्री बढ़ी है।

टीचर स्मार्टफोन डोनेट करने की अपील कर रहे हैं

पुणे के एक शिक्षक नागनाथ विभूते ने अपने ब्लॉग के जरिए लोगों से इस्तेमाल किए हुए स्मार्टफोन दान करने की अपील की, जिसका इस्तेमाल ऐसे बच्चे कर सकें जो गरीब परिवार से आते हैं।

गांवों में इंटरनेट की धीमी स्पीड बच्चों के लिए मुसीबत से कम नहीं

शिक्षक वॉट्सऐप के जरिए घर पर किए जाने वाला सबक दे रहे हैं या वर्चुअल क्लास ले रहे हैं। लेकिन, स्मार्टफोन की कमी ऑनलाइन स्कूली शिक्षा के लिए एकमात्र बाधा नहीं है। महाराष्ट्र के पंचगनी में केमिस्ट्री की टीचर मौमिता भट्टाचार्जी को धीमे इंटरनेट के साथ काम करना पड़ता है। भट्टाचार्जी ने बच्चों को क्लासरूम का अहसास देने के लिए दीवार पर ब्लैकबोर्ड भी लगाया है। मौमिता सबक को रिकॉर्ड करती हैं और बाद में बच्चे उसे इंटरनेट के जरिए डाउनलोड कर लेते हैं।

सरकार ने वन क्लास वन चैनल की शुरुआत की

खराब कनेक्शन, फोन की लागत और महंगे डाटा प्लान के अलावा स्क्रीन पर अत्यधिक समय बिताने की चिंताओं के बीच पढ़ाने के तरीके को वापस ऑफलाइन की तरफ जाने पर विचार करने पर मजबूर किया जाने लगा है। हाल ही में मानव संसाधन मंत्रालय ने 'वन क्लास वन चैनल' की शुरूआत की थी। इसके तहत बच्चों को पढ़ाने के लिए टीवी और रेडियो का सहारा लिया जाता है।

46 फीसदी परिवारों ने अपने बच्चों को पढ़ाना बंद कर दिया है

ऑनलाइन शिक्षा होने के कारण गरीब परिवारों के लाखों बच्चों की पढ़ाई छूट गई है। गैर लाभकारी संस्था कैरिटास इंडिया द्वारा 600 से अधिक प्रवासी श्रमिकों पर किए गए एक सर्वे में पता चला कि उनमें से 46 फीसदी परिवारों ने अपने बच्चों को पढ़ाना बंद कर दिया है। पुणे स्थित शिक्षक विभूते बताते हैं कि ईंट भट्टों में काम करने वाले उन मजदूरों के बच्चों से उनका संपर्क टूट गया जो लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हो गए हैं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
शिक्षक अब व्हाट्स-ऐप के जरिए घर पर किए जाने वाला सबक दे रहे हैं या वर्चुअल क्लास ले रहे हैं।


from Dainik Bhaskar /utility/news/school-online-classes-news-with-no-access-to-smartphone-and-mobile-phone-127573184.html
via IFTTT

Comments

Popular posts from this blog

लॉकडाउन में दोस्त को भूखा देख कश्मीरी ने शुरू की टिफिन सर्विस, 3 लाख रु. महीना टर्नओवर

सिंगरौली में 2 मालगाड़ी आमने-सामने टकराईं, 3 लोको पायलट की मौत

तेंदुलकर, रैना और धवन समेत कई खिलाड़ियों ने राफेल का स्वागत किया, सचिन बोले- इस अपग्रेड से डिफेंस सिस्टम को मजबूती मिलेगी