राजयोगिनी दादी हमेशा कहती थीं- बदलती जीवन शैली में ध्यान जरूरी है, छोटी-छोटी बातों से मन को कभी विचलित न होने देना

माउंट आबू.राजस्थान के माउंट आबू स्थित ब्रह्माकुमारी संस्थान की मुख्य प्रशासिका एवं स्वच्छ भारत मिशन की ब्रांड एम्बेसडर राजयोगिनी दादी जानकी का 104 साल की उम्र में गुरुवार देर रात निधन हो गया। वे 140 देशों में फैले अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक संस्थान का संचालन कर रही थीं। उन्हें मोस्ट स्टेबल माइंड इन वर्ल्ड का खिताब प्राप्त था। वे 27 अगस्त 2007 काे संस्थान की मुख्य प्रशासिका बनीं। दादी जानकी के कर्मयोग के बारे में बता रही हैं ब्रह्माकुमारी शिवानी...

दादी जानकी एक देवदूत थीं, जो एक दादी, मां, दोस्त और मार्गदर्शक थीं। हमेशा विनम्र और सरल। वह ज्ञान की अवतार थीं, जिसे दूसराें काे बिना रुके, बिना थके औराें के लिए साझा किया। एक सच्ची नेत्री। उन्होंने युवा पीढ़ी काे सेवा कार्याें में सबसे आगे रहने के लिए प्रोत्साहित किया। उम्र,पद, ज्ञान और अनुभव में वरिष्ठ हाेने के बावजूद दादीजी मुझे हमेशा अपने से बराबर रखकर मिलीं। दुनियाभर के लोगों के दिलाें पर उन्हाेंने अपनी छाप छाेड़ी। उनसे हमेशा देश-विदेश के लाेग मिलने आते थे और वह हमेशा व्यस्त रहती थी। उनके काम में काेई रुकावट न आए, इसलिए मैं अक्सर उनके पास जाने से हिचकिचाती थी, लेकिन वह हमेशा बात करने पर जोर देती थीं। उन्होंने ब्रह्मकुमारियों और अन्य सेवाभावियाें के साथ मीडिया के माध्यम से हमेशा प्रसन्नचित रहने का संदेश दिया। वे हमेशा कहती थीं- ‘बदलती जीवनशैली को देखते हुए ध्यान करना जरूरी हो गया है। छोटी-छोटी बातों से मन को विचलित नहीं करना चाहिए।’ वह बहुत कम बाेलती थीं, फिर भी उनका हर शब्द एक आशीर्वाद था। उनके एक-एक शब्द यथार्थ काे बताने के लिए काफी हाेते थे। कभी-कभी वह कार्यक्रम के दाैरान चुपके से मंच के पीछे जाकर बैठ जाती थीं और बाद में सामने आकर कहती थीं- मैं तुम्हे सुनना चाहती हूं।’ बुद्धि हमेशा उनकी विनम्रता और सादगी में परिलक्षित होती है। वह शरीर से भावनात्मक रूप से अलग होने का एक आदर्श उदाहरण थीं। हालांकि उनका शरीर नाजुक था, फिर भी उन्होंने अपने दिमाग पर इस कमजोरी को कभी हावी नहीं होने दिया। वह फिर नई ऊर्जा के साथ अगले दिन सेवा में लग जाती थीं।’

जनवरी 2019 में भोपाल आई थीं राजयोगिनी दादी

राजयोगिनी जानकी दादी ब्रह्माकुमारीज संस्थान की स्थापना के बाद जनवरी 2019 में दूसरी बार भोपाल आईं थीं। वे भोपाल को देखकर बहुत खुश हुईं थीं। उनका कहना था कि भोपाल में बहुत सुकून है। बड़े तालाब को देखते हुए वे लगभग चहकते हुए बोली थीं- भोपाल की शांति, खुशहाली और समृद्धि यहां के लोगों के कारण ही है। उनकी प्रशंसा की जाना चाहिए। प्रकृति ही हमारी समृद्धि है और भोपाल के लोगों ने उसे दिलों और शहर में बड़ी खूबसूरती से बसा के रखा है। दादी यहां तीन दिन रुकी थीं। वे यहां आकर इतनी खुश थीं कि उन्होंने कार्यक्रम के दौरान सभी के साथ संगीत की धुन पर डांस भी किया था। दादी का जन्म 1 जनवरी 1916 को हैदराबाद सिंध, पाकिस्तान में हुआ था। वे 21 वर्ष की उम्र में ब्रह्माकुमारीज संस्थान के आध्यात्मिक पथ को अपना लिया था और पूर्णरूप से समर्पित हो गई थीं। उन्होंने दुनिया के 140 देशों में सेवा केंद्रों की स्थापना कर लाखों लोगों को अपने साथ जोड़ा।(जैसा रोहित नगर सेवा केंद्र की बहन बीके डॉ. रीना ने भास्कर को बताया।)



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राजयोगिनी जानकी दादी।
भोपाल प्रवास के दौरान हलवा बनातीं राजयोगिनी जानकी दादी।


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