दिल्ली की हिंसा 18 साल में देश का तीसरा सबसे बड़ा सांप्रदायिक दंगा

नई दिल्ली. राजधानीदिल्ली में 4 दिन तक चले सांप्रदायिक दंगे में अब तक 38 लोगों की जान जा चुकी है। 364 से ज्यादा लोग घायल हैं। मौतों की संख्या के लिहाज से यह 18 साल में देश का तीसरा सबसे बड़ा दंगा है।2005 में यूपी के मऊ जिले में रामलीला कार्यक्रम में मुस्लिम पक्ष ने हमला कर दिया था। इसके बाद जिले में हुए दंगे में दोनों पक्षों के 14 लोगों की जान चली गई थी। 2006 में गुजरात के वडोदरा में प्रशासन द्वारा एक दरगाह को हटाने को लेकर हुए दंगे में 8 लोगों की मौत हुई थी। 2013में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में लड़की से छेड़छाड़ को लेकर हुए दो पक्षों के विवाद ने सांप्रदायिक दंगे का रूप ले लिया। इसके बाद पश्चिमी यूपी के अलग-अलग जिलों में हुई हिंसा में 62 से ज्यादा लोगों की जान गई थी। 18 साल पहले 2002 में गुजरात दंगों के दौरान 2000 से ज्यादा लोगों की जान गई थी।

सरकारी आंकड़े: 2014 से 2017 तक देश में 2920 दंगे हुए, 389 मौतें हुईं
भारत में 2014, 2015, 2016, 2017 में कुल 2920 सांप्रदायिक दंगे हुए, इनमें 389 लोगों की मौत हुई,जबकि 8,890 लोग घायल हुए। यह जानकारी गृह मंत्रालय की ओर से फरवरी 2018 में दी गई थी। इन चार सालों में सबसे ज्यादा 645 दंगे यूपी में हुए, दूसरे नंबर पर 379 दंगे कर्नाटक में हुए, महाराष्ट्र में 316 हुए। 2017 की नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो(एनसीआरबी) और गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले चार साल में देश में सांप्रदायिक दंगों में कमी आई है।

2004 से 2017 के बीच देश में 10399 दंगे हुए, 1605 लोगों की जान गई
एक आरटीआई केजवाब में गृह मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि 2004 से 2017 के बीच 10399 सांप्रदायिक दंगे (छोटे-बड़े) हुए। इन दंगों में 1605 लोगों की जान गई, 30723 लोग घायल हुए। सबसे ज्यादा 943 दंगे 2008 में हुए। इसी साल दंगों में सबसे ज्यादा 167 जानें भी गईं, 2354 लोग घायल हुए। सबसे कम 2011 में 580 दंगे हुए। इस साल 91 लोगों की जान गई थी।



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Delhi Violence Riots Death Toll | Delhi Violence Is The 3rd Biggest Communal Riots After Muzaffarnagar Haryana Panchkula Sirsa Punjab Violence


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