सीएए समर्थकों और विरोधियों ने एक-दूसरे को निशाना बनाने के लिए सोशल मीडिया को हथियार बनाया, धरना-प्रदर्शनों का सहारा लिया
नई दिल्ली. देश की राजधानी में जो कुछ पिछले चार दिनों में हुआ, क्या वह महज संयोग था या बाकायदा दंगों से पहले का प्रयोग? सीएए समर्थक और विरोधियों ने एक-दूसरे को निशाना बनाने के लिए धरना-प्रदर्शनों सहारा लिया। भीड़ जुटाने और एक-दूसरे को धमकाने के लिए सोशल मीडिया को हथियार बनाया। ताबड़तोड़ ट्वीट, वीडियो, मैसेज शेयर किए गए। दरअसल, यह प्रयोग तकरीबन 75 दिन पहले शुरू हो गया था, जब नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के शक्ल लेने के बाद दिल्ली में धरना, प्रदर्शनों और भड़काऊ बयानों का दौर शुरू हुआ था। जेएनयू-जामिया के प्रदर्शनों, दिल्ली चुनाव में नेताओं के भड़काऊ बयानों और शाहीनबाग जैसे धरनों ने इसे और तीखा तेवर दे दिया, पर दंगों की पटकथा 22 और 23 फरवरी को लिखी गई।
22 फरवरी: चंद्रशेखर का भारत बंद का ट्वीट
भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने 22 फरवरी को एक ट्वीट किया। इसमें लिखा कि देश का बहुजन समाज 23 फरवरी को भारत बंद करके ये बता देगा कि भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की जो कोशिश आरएसएस और भाजपा कर रही है, वो कभी सफल नहीं होगी। हम अम्बेडकर के सपनों का भारत बनाएंगे।
23 फरवरी: कपिल मिश्रा का धमकी वाला वीडियो
अगले दिन भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने वीडियो ट्वीट किया। इसमें कपिल पुलिस और आम लोगों के साथ खड़े थे। कपिल वीडियो में कह रहे हैं कि ये यही चाहते हैं कि दिल्ली में आग लगी रहे। इसीलिए इन्होंने ये रास्ते बंद किए हैं। ये दंगे जैसा माहौल बना रहे हैं। हमारी तरफ से एक भी पत्थर नहीं चलाया गया। डीसीपी साहब हमारे सामने खड़े हैं। आप सबके बिहाफ पर ये बात कह रहा हूं कि ट्रम्प के जाने तक तो हम जा रहे हैं। पर उसके बाद हम आपको भी नहीं सुनेंगे, अगर रास्ते खाली नहीं हुए। ठीक है? ट्रम्प के जाने तक आप चांद बाग और जाफराबाद खाली करवा दीजिए, ऐसी आपसे विनती है। उसके बाद हमें लौटकर आना पड़ेगा। भारत माता की जय, वंदे मातरम।
22-23 फरवरी: सीएए के समर्थन और विरोध में यमुनापार दिल्ली में 5 से 8 किमी के दायरे में नए प्रदर्शन शुरू हुए
सीएए के विरोध में दिल्ली में शाहीनबाग के अलावा कुछ अन्य इलाकों में नए सिरे प्रदर्शन शुरू हो गए। ये इलाके जाफराबाद, करदामपुरी, चांद बाग, खजूरी खास, वजीराबाद और यमुना विहार हैं। ये वही इलाके हैं, जहां पिछले तीन दिनों में दंगे हुए। शनिवार-रविवार की रात जाफराबाद में प्रदर्शन कर रहे लोग सर्विस लेन से हटकर मेट्रो स्टेशन के नीचे बैठ गए। इसके चलते रविवार दोपहर तक कुछ मेट्रो स्टेशन बंद करने पड़े। सड़कों पर ये भीड़ ऐसे वक्त में उतर रही थी, जब भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर ने रविवार को भारत बंद बुलाया था। यह पूरा जमावड़ा दिल्ली के यमुनापार इलाके में करीब 5 से 8 किमी के दायरे में हो रहा था।माहौल उस समय तनावपूर्ण हो गया जब पूर्व विधायक और भाजपा नेता कपिल मिश्रा सीएए के समर्थन में कुछ लोगों के साथ जाफराबाद से करीब एक किमी दूर मौजपुर के पास धरने पर बैठ गए। शाम होते-होते सीएए समर्थकों और विरोधियों के बीच आसपास के इलाकों में झड़पें शुरू हो गईं। सोशल मीडिया पर दोनों पक्ष भीड़ जुटाने के लिए टेक्सट मैसेज और वीडियो शेयर करने लगे।
24 फरवरी: 5 से 7 घंटे के अंदर 7 इलाकों में एक साथ झड़पें शुरू हो गईं
सोमवार सुबह नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में पूरी तरह से माहौल खराब हो चुका था। मौजपुर चौक में सुबह कुछ लोग सीएए के समर्थन में धरने पर बैठ गए। कुछ घंटे बाद पास में ही स्थित कबीर नगर इलाके में सीएए कानून के खिलाफ लोगों ने सड़कों पर प्रदर्शन मार्च निकाल दिया। दोपहर तक मौजपुर चौक और कबीर नगर इलाके में दोनों पक्षों के बीच पथराव होने लगा। इसके बाद उत्तर-पूर्वी दिल्ली के करीब 7 अन्य इलाकों में हिंसक झड़पें शुरू हो गईं। जाफराबाद, गोकुलपुरी और भजनपुरा सबसे ज्यादा प्रभावित थे। भजनपुरा के चांद बाग में उपद्रवियों ने पेट्रोल पंप में आग लगा दी। भीड़ का सड़कों पर नियंत्रण और पुलिस मूकदर्शक बनकर देख रही थी। दोनों पक्षों के पर्दे के पीछे बैठे नेता सोशल मीडिया पर मैसेज वायरल करने में जुटे थे।
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