परिजन को शव लेने के लिए इंतजार करना पड़ रहा, जगह-जगह बर्बादी का मंजर
नई दिल्ली. उत्तर-पूर्वी दिल्ली में चार दिन हिंसा के बाद गुरुवार को आम जीवन पटरी पर लौटता दिखा। कुछ इलाकों में लोग जरूरत के सामान लेने के लिए घर के बाहर निकले। गलियों, घरों में मुख्य सड़कों पर सबकुछ बिखरा नजर आ रहा है। आग लगने की वजह से सड़कें, घर, दुकान पर कालिख दिख रही है।
वहीं, लोगों को हिंसा में मारे गए परिजन के शव लेने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। पुलिस-प्रशासन का कहना है कि पोस्टमॉर्टम के बाद ही बॉडी दी जाएगी, तब तक इंतजार करें। इस मामले में जीटीबी अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट सुनील कुमार ने कहा, ''पोस्टमॉर्टम करने के लिए बोर्ड गठित करने की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के ऊपर है। हमने 4 पोस्टमॉर्टम किए हैं, जिनके मामले गंभीर थे। उम्मीद है कि जल्द ही इसके लिए बोर्ड बना लिया जाएगा।'' इस मामले में वकील महमूद पारचा ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट इस पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा।
अब तक 34 लोगों की मौत
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सीएए के मुद्दे पर हुई हिंसा में मरने वालों की संख्या गुरुवार को 34 तक पहुंच गई। जबकि 250 से ज्यादा लोगों का राजधानी के जीटीबी और एलएनजेपी अस्पताल में इलाज चल रहा है। यहां के जाफराबाद-मौजपुर और आसपास के इलाकों में 23, 24 और 25 फरवरी को नागरिकता संशोधन कानून के सर्मथक और विरोधी गुटों में हिंसक झड़प हुई थीं। इस दौरान उपद्रवियों ने पथराव, आगजनी और फायरिंग की थी। हालांकि, बुधवार और गुरुवार को हिंसा की कोई नई घटना सामने नहीं आई।
हिंसाग्रस्त इलाकों में आज शांति, लेकिन दुकानें बंद
दिल्ली के हिंसाग्रस्त जाफराबाद, मौजपुर, चांद बाग, गोकलपुरी और भजनपुरा समेत आसपास के इलाकों में गुरुवार को माहौल शांत है। पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवान गलियों में फ्लैग मार्च कर रहे हैं। ज्यादातर इलाकों में दुकानें बंद हैं और सड़कें सुनसान हैं। ऐसे माहौल में लोग घरों में ही रहना पसंद कर रहे हैं। उधर, दिल्ली फायर सर्विस को बुधवार रात से गुरुवार सुबह तक उत्तर-पूर्वी दिल्ली में आग की 19 कॉल मिलीं। 100 दमकलकर्मियों के साथ वरिष्ठ अधिकारी आग बुझाने में जुटे हैं।
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