उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों से पलायन शुरू, मुनादी कर लोगों को घर से बाहर न निकलने की चेतावनी दे रही पुलिस

नई दिल्ली.नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के समर्थक और विरोधी गुटों के बीच मंगलवार को लगातार तीसरे दिन उत्तर-पूर्वी दिल्ली मेंहिंसा हुई। मौजपुर में दिनभरउपद्रवियों ने फायरिंग और पथराव किया। हिंसा में मारे गए लोगों की संख्या 13 तक पहुंच गई है, जबकि 150 से ज्यादा जख्मी हैं। हिंसक भीड़अब आम लोगों के घर-दुकान और गाड़ियों में आग लगा रही है। जाफराबाद, मौजपुर, भजनपुरा और सीलमपुर समेत कई इलाकेके लोग दहशत में हैं। हिंसा ग्रस्त इलाकोंसे भास्कर कीग्राउंड रिपोर्ट...

1) सीलमपुर से अखिलेश कुमार

लाठी-डंडों से लैस दिखे लोग, बच्चे रिश्तेदारों के घर रोके गए:सीलमपुर के रोड नंबर-66 से पुलिस भी सुरक्षा उपकरण के बिना नहीं उतर रही थी। पत्थर सहित छोटे-मोटे हमले झेलने वाले जैकेट और सिर पर हेलमेट के साथ सीलमपुर लालबत्ती के पास ही पुलिस ने बेरिकेट्स लगाकर रास्ता बंद किया हुआ था। उस रास्ते से गुजरने वाली मेट्रो की सेवाएं सोमवार से ही बंद हैं। इलाके में रहने वाले लोग चाहे जिस समुदाय के हों, खौफजदा दिखाई दिए। एक युवती पुलिस वालों से कह रही थी मुझे गोकलपुरी जाना है। सुरक्षित पहुंच सकूंगी? पुलिस कर्मी हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे। फिर एक पुलिसकर्मी ने कहा- लोधी रोड के रास्ते किसी वाहन का इस्तेमाल करके पहुंच सकते हैं। यहां से वाहनों का प्रवेश नहीं है, पैदल जा सकते हैं।

सीलमपुर रेड लाइट के पास मीडिया की बड़ी जमात थी। कुछ बाइक पर आगे तक गए भी थे लेकिन हालात बिगड़ता देखकर वापस लौट आए। एक पत्रकार ऑटो रिक्शा से किसी दूसरी रास्ते से निकलकर जाफराबाद मेट्रो स्टेशन तक पहुंचे थे लेकिन वहां लोग जनता मजदूर कालोनी के रोड पर लाठी डंडों के साथ दिखाई दिए। एक घायल को उनके ऑटो रिक्शा में बैठाने लगे तो वो ऑटो रिक्शा से उतरकर करीब एक-डेढ़ किमी पैदल चलकर सीलमपुर पुलिस बूथ के पास वापस पहुंचे। इस बीच में सुभाष पार्क की गलियों में लोग लाठी डंडों के साथ दिखे। कुछ के हाथ में चाकू और तलवार तक थी। सीलमपुर से आगे बढ़कर लोनी रोड के रास्ते गोकलपुरी तक पहुंचने पर दृश्य ज्यादा भयावह थे। सीलमपुर, करावल नगर, शेरपुर, मौजपुरी, यमुना विहार, ब्रह्मपुरी, गौतमपुरी में रहने वालोंके बच्चे या परिजन जो स्कूल या काम पर गए थे, उनमें बड़ी संख्या ऐसे लोगों की रही जो घर लौटने की बजाय रिश्तेदारों के पास रुके। इलाके में जींस सिलाई व रंगाई सहित कई तरह की फैक्ट्री में बड़ी संख्या में मजदूर काम करते हैं।

2) कर्दमपुरी और घोंडा से नीरज आर्या

फायरिंग करते रहे दहशतगर्द, पेट्रोल बम फेंक लगाई आग: कर्दमपुरी इलाके में मंगलवार दोपहर डरावना माहौल देखने को मिला। बेकाबू उपद्रवियों ने न केवल सरेआम ताबड़तोड़ फायरिंग की बल्कि पेट्रोल बम के गोले फेंक वाहनों आग के हवाले कर दिए। पुलिस इन लोगाें से निपटने में बेबस नजर आई। सुरक्षाबलों ने इस क्षेत्र को चारों तरफ से घेर तो रखा था, लेकिन उपद्रवीगलियों में से निकल-निकल फायरिंग करते रहे। दोनों गुट के लोग लगातार एक-दूसरे की दुकानों में आग भी लगाते रहे। माहौल इतना खराब हो गया कि जो लोग भी इन उपद्रवियों काे राेकता, वे उसे बुरी तरह पीट देते। डर से लोगों ने खुद को घरों में बंद कर लिया। सब अपने-अपने रिश्तेदारों और परिजनों से फोन पर बात कर हालचाल लेते रहे। यहां पुलिस ने आंसू गैस के गोले भी दागे, लेकिन उनका असर उपद्रवियों पर ज्यादा नहीं हुआ। इनमें बहुत से ऐसे लोग थे जिन्होंने अपनी पहचान छिपाने के लिए मुंह को कपड़े से कवर कर रखा था। थोड़ी-थोड़ी दूरी पर भगदड़ की स्थिति बनी रही। वे पूरी तरह से बेखौफ होकर इलाके में दहशत मचाते रहे। कुछ ऐसा ही माहौल दिन में घोंडा चौक पर देखने को मिला। यहां दंगाइयों ने एक मिनी बस को ही आग के हवाले कर दिया। पांच छह ई रिक्शा भी जला दिए। हाथों में डंडे और लोहे की रॉड लेकर ये गुंडे बेधड़क आतंक मचाते रहे। पुलिस उन्हें खदेड़ने के लिए आंसू गैस भी छोड़ रही थी।

इलाके में रहने वाले कुछ लोगों का कहना था दिल्ली में हिंसा की इतनी भयानक घटना इससे पहले उन्हाेंने नहीं देखी। सड़क पर पुलिस और सुरक्षा बल के जवान नजर तो आ रहे थे, लेकिन उन्हें कैसे स्थिति से निपटना है यह बिल्कुल भी समझ नहीं आ रहा था। क्योंकि वे एक तरफ से लोगों को कंट्रोल में करते तो दूसरी ओर से पथराव होना शुरु हो जाता। यहां भी दिनभर तनाव जैसा माहौल बना रहा।

3) मौजपुर और कबीरनगर से धर्मेंद्र डागर

दो गुटों में पत्थरबाजी-फायरिंग, 4 बाइक और एक कार फूंकी:मौजपुर में भी मंगलवार को उपद्रवियों का हिंसक दौर जारी रहा। मौजपुर में सुबह 7.30 बजे दो गुटों के बीच पत्थरबाजी शुरू हो गई। इसमें कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए। दंगाइयों ने 4 बाइकें व एक कार को आग लगा दी। पुलिस बल तैनात किए जाने पर उपद्रवियों ने उन पर पत्थरबाजी की। दोपहर 12.30 बजे दंगाइयों ने वाहन, घरों व 8 दुकानों सहित घार्मिक स्थलों में आग लगा दी। हालात बेकाबू होते देख करीब 3.15 बजे इलाके में अर्द्धसैनिक सुरक्षा बलों को तैनात किया गया। इसके बाद भी दंगाइयों ने फायरिंग पत्थरबाजी बंद नहीं की। मौजपुर निवासी एक युवक सूरज सिंह ने बताया कि उसका बच्चा बीमार है। उसके लिए मेडिकल स्टोर से दवा लेने के लिए निकला है। उसने बताया घर से निकलना मुस्किल हो रहा है। कुछ लोग घरों की छत से लाेगों पर पत्थर फैंक रहे है। लोग घरों ने नहीं निकल रहे है।

मौजपुर में हिंसा नहीं रुकने पर अतिरिक्त पुलिस, अर्द्धसैनिक सुरक्षा बल को तैनात किया। पुलिसबल पर भी पत्थरबाजी व फायरिंग के कारण पुिलस को वहां कर्फ्यू लगाना पड़ा। इसके बाद हिंसक घटनाओं में कमी आई। फिर भी माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है।मौजपुर से करीब एक किलोमीटर के फासले पर कबीरनगर में भी सुबह से पत्थरबाजी शुरु हो गई। दंगाईयों के दो गुटों ने एक दूसरे पर पत्थरबाजी शुरु कर दिया। इसके बाद सामने दिखने वाले करीब वाहनों पांच वाहनों को आग लगा दी। कबीरनगर निवासी पंकज कुमार ने बताया कि पत्थरबाजी के कारण लोग रातभर सो नहीं पाए। दंगाई जगह जगह आग लगा रहे है। पहले ऐसे हालात कभी नहीं देखे। धारा 144 के बाद भी उपद्रवियों ने एक-दूसरे समुदाय के मकानों व दुकानों को निशाना बनाकर लूटपाट व आगजनी की। पूरे दिन दंगाइयों का आतंक रहा। कई दुकानों से सामान बाहर फेंक दिया गया।

4) जीटीबी अस्पताल से तरुण सिसोदिया

कार और बाइक से लाए जा रहे थे घायल:हिंसक घटनाओं में घायल हुए लोग मंगलवार को भी जीटीबी की इमरजेंसी में पहुंचते रहे। हर 10 मिनट में कोई न कोई घायल अस्पताल में पहुंचता दिखा। किसी को एंबुलेंस ला रही थी, तो कोई कार या फिर बाइक से लाया जा रहा था। अस्पताल में सीटी स्कैन मशीन खराब होने के चलते गोली लगने वाले को स्कैन के लिए दूसरे अस्पताल भेजा गया। घायल सुबह 7 बजे से ही से जीटीबी अस्पताल पहुंचने शुरू हो गए थे। इमरजेंसी में मौजूद एक डॉक्टर के मुताबिक हर 10-15 में एक मरीज यहां पहुंच रहा है। करीब 50 फीसदी मरीज बुलेट लगने के कारण घायल बताए गए।

इसके अलावा अन्य पत्थर और अन्य नुकीली चीज लगने से घायल बताए गए। पुलिस के 16 जवान भी घायलों में पहुंचे। रात 9 बजे तक 150 घायल अस्पताल में पहुंच गए। इसके बाद भी वहां घायलों के पहुंचे का सिलसिला जारी है। दो घायलों की हालत ज्यादा गंभीर बताई जा रही है, उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया है। हिंसा में घायल होकर अस्पताल पहुंचने वालों के कारण बीमारी के कारण अशोक नगर निवासी बुजुर्ग राजनंद के परिजन डेड बॉडी ले जाने के लिए दो घंटे तक परेशान रहे। दुबे के परिजनों ने बताया कि वे लंबे समय से अस्पताल में भर्ती थे। उनकी मृत्यु के बाद जब शव को अशोक नगर ले जाने के बात आई को कोई जाने को ही तैयार नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि हिंसा के कारण सभी कन्नी काटते रहे।

5) बाबरपुर सेतोषी शर्मा

पथराव-फायरिंग के बीच युवक को लगी गोली:बाबरपुर इलाके में जहां हर दिन बाजार में भीड़-भाड़ नजर आती है वो मंगलवार को पूरा बंद दिखा। दुर्गापुरी स्थित 100 फुट रोड और आसपास के रिहायशी इलाकों में लोग परिवार के साथ घरों के बाहर डर के साये में खड़े दिखे। लोगों में इस बात का डर था कि कहीं उनके घर पर कोई हमला ना कर दे। सड़कें पत्थर और ईंटों से अटी हुईं थीं। कहीं दुकानों के बाहर सामान जल रहा था जिसे पुलिसकर्मी बुझाने का प्रयास कर रहे थे। लोगों का कहना था कि शाम करीब 3 बजे एक धार्मिक स्थल पर पथराव कर दिया था। इसी दौरान मंदिर के सामने वाली गली में कांशीराम डेयरी के पास में रहने वाले एक युवक को छत से किसी ने गोली मार दी। उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया।

युवक को गोली लगने की खबर मिलते ही दुर्गापुरी रोड पर हजारों की संख्या में भीड़ जुट गई। मौजपुर में मेट्रो पिल्लर संख्या 233 के सामने शगुन स्वीट नाम से शोरूम है। मंगलवार सुबह हथियारों से लैस भीड़ ने इसका शटर काटकर अंदर घुस गए। भीड़ ने बंद शोरुम के अंदर मजदूरों और हलवाइयों को बंधक बना लिया। शोरूम मालिक मुकेश बंसल को इसकी जानकारी दी गई। बंसल ने बताया कि उन्होंने अपने लोगों को बचाने के लिए पुलिस से मदद मांगी। पुलिसबल मौके पर पहुंचता उससे पहले ही उपद्रवी भीड़ ने शोरूम में तोड़फोड़ और लूट की। कुछ देर बाद पहुंची पुलिस ने सभी मजदूरों को बाहर निकाला।



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कब बुझेगी ये आग, अपने ही शहर को जख्म देने पर क्यों आमादा हैं लोग।


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